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बेटा शहर जात हे..

 बेटा शहर जात हे..


बेटा ल शहर के पिज्जा-बर्गर बड़ लुभात हे।

दाई हाथ के चटनी बासी अब नई मिठात हे।।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


धनहा खार के नागर तुतारी अब नई सुहात हे।

बेटा घुमय शहर, ददा भिन्सारे ले खेत जात हे।।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


नागर के मुठिया पकड़त म अब लजात हे।

हाथ म मोबाइल आँखी म तश्मा सजात हे।।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


जहुरिया मन संग पार्टी म मजा खूब आत हे।

दाई ददा बोरे बासी, बेटा मुर्गा-भात खात हे।।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


जांगर धर लिस ददा के, बइठे बइठे चिल्लात हे।

कान होके भैरा होगे, बेटा ल नई सुनात हे।।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


सुरु होगय मुंह जबानी, धर के बात नई बतात हे।

बड़े से बात कइसे करना हे, संस्कार ल भुलात हे।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


बेटा बसगे शहर म, दाई ददा ल अब बिसरात हे।

बेटा के सुध म दाई के, दिन-रात आँसू बोहात हे।

अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे..


स्वरचित रचना

देव प्रसाद पात्रे

जिला मुंगेली छ.ग.

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