भूत पिशाच निकट नहीं आवे' और इसे काला जादू नहीं माना जा सकता :- नागपुर कमिश्नर
मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. ये शिकायत नागपुर अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव ने की थी. उन्होंने 8 जनवरी को नागपुर के पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई थी. श्याम मानव ने आरोप लगाया था कि 5 से 13 जनवरी तक नागपुर में हुई 'श्री राम कथा'में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अंधविश्वास को बढ़ावा दिया.
आरोप में यह भी कहा गया कि शास्त्री ने 'दिव्य दरबार' लगाकर लोगों को चमत्कार दिखाया. यह महाराष्ट्र के काला जादू अधिनियम का सीधे तौर पर उल्लंघन है. श्याम मानव की शिकायत पर जांच करने के बाद अब नागपुर पुलिस ने धीरेंद्र शास्त्री को क्लीनचिट दे दी है. पुलिस ने अपना लिखित जवाब अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष और शिकायतकर्ता श्याम मानव को भी भेज दिया है.
नागपुर के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने एजेंसी को बताया था कि पुलिस ने शिकायत की जांच की. श्याम मानव ने सबूत के तौर पर जो वीडियो दिया था उसे भी परखा गया. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिससे अंधविश्वास को बढ़ावा मिलने की बात सामने आए. कुमार ने आगे बताया कि वीडियो में धीरेंद्र शास्त्री हनुमान चालीसा की कुछ पंक्तियों का पाठ कर रहे हैं. जैसे 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे' और इसे काला जादू नहीं माना जा सकता.
बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित है. यहां के महाराज धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य चमत्कारी दरबार' लगाते हैं. यहां वो दावा करते हैं कि उन्हें आपके बारे में सब पता है. वहां आने वाले लोग पर्ची में अपनी समस्या लिखते हैं और धीरेंद्र शास्त्री उनके बताए बिना ही अपनी पर्ची में उनकी समस्या लिख देते हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने जनवरी में 'श्रीराम चरित्र चर्चा' नागपुर में आयोजित की थी. ये कथा 13 जनवरी तक चलनी थी. लेकिन 11 जनवरी को ही खत्म हो गई थी. कहा जा रहा था कि महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की शिकायत के चलते ऐसा हुआ. समिति ने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास और जादू-टोना को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.
समिति ने क्या आरोप लगाए थे?
समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा, धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य दरबार' और 'प्रेत दरबार' की आड़ में 'जादू-टोना' को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी करने और उनका शोषण करने का आरोप भी लगाया. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती भी दी कि अगर वो उनके बीच दिव्य दरबार लगाते हैं और चमत्कार करके दिखाते हैं तो वो उन्हें 30 लाख रुपये देंगे. समिति का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री 'दिव्य दरबार' नाम से जो सभा करते हैं, उसमें दो कानूनों का उल्लंघन होता है. पहला है- 2013 का महाराष्ट्र का जादू-टोना विरोधी कानून और दूसरा है- 1954 का ड्रग्स एंड रेमेडीज एक्ट.
धीरेंद्र शास्त्री ने दिया था जवाब
हालांकि, इन आरोपों पर धीरेंद्र शास्त्री ने दावा किया कि वो कोई अंधविश्वास नहीं फैला रहे हैं और न ही किसी की समस्या दूर कर रहे हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने ये भी कहा था कि 'हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार.' इसके बाद से धीरेंद्र शास्त्री के दावों को लेकर देशभर में बहस छिड़ी है. कुछ लोग इसे आस्था का मुद्दा बता रहे हैं, तो कुछ लोग अंधविश्वास बताकर धीरेंद्र शास्त्री पर सवाल खड़े कर रहे हैं.